Gandush Kriya Benefits, Ayurvedic Remedies Oil Pulling Method

Benefits of Gandush Kriya

गंडुश क्रिया में जब आप मुँह में तेल को रखते हैं,तो जुबान के रास्ते तेल Toxins (शरीर में बनने बाले हानिकारक तत्व) को खींच लेता है।

गण्डूष-क्रिया के द्वारा मुँह में विद्दमान Toxins, गले में विद्दमान Toxins, आँतों में विद्दमान Toxins सभी को गण्डूष- क्रिया के द्वारा तेल खींच लेता है,
अर्थात हमारे जुबान की नसें शरीर में जहाँ तक फैली हुई है उन सभी जगहों से गण्डूष-क्रिया के द्वारा Toxins खींच लिया जाता है और वो सारे के सारे Toxins तेल में आ जाता है।। और फिर अंततः 15-20 मिनट बाद(जब आंख में,नाक में, मुंह में पानी आ जाये) मुँह से तेल को भेंक दें। फिर हल्के गुनगुने पानी या ताजे पानी से कुल्ला कर लें। फिर दांतुन या मंजन करें।।

ध्यान रखें तेल को पीना नहीं है,तेल को 15-20 मिनट बाद मुँह से बाहर फेंक दें अर्थात थूक दें।।

गण्डूष – क्रिया के फायदे….

  • गण्डूष-क्रिया करने से दाँत-मसूड़े मजबूत होते हैं।
  • मुँह का स्वाद बढ़ता है।
  • दाँतों से खून आना बन्द होता है।
  • पाचनशक्ति मजबूत होती है।
  • वायुविकार/गैस की समस्या में बहूत लाभ मिलता है।
  • गण्डूष-क्रिया लगातार करने से चेहरे पर कांति आती है अर्थात चेहरे की चमक बढ़ती है।
  • दाँतों में ठंडा-गर्म लगने की समस्या ठीक होती है।
  • खुश्की की समस्या ठीक होती है।
  • कोई खट्टी चीज खाने पर जरूरत ज्यादा दाँत में खट्टापन आने की समस्या में भी लाभ होता है।
  • जिनके होंठ सूखते हैं,लाभ होता है।
  • मुँह के छालों में लाभ होता है।

तिल के तेल से गण्डूष क्रिया
जिन्हें वात रोग हो अर्थात
पेट से सम्बंधित समस्या अपच,गैस की समस्या,पेट दर्द,शरीर में रूखापन आदि हो तो उसे तिल के तेल से गण्डूष क्रिया करनी चाहिए।।

नारियल के तेल से गण्डूष क्रिया
जिन्हें पित्त रोग हैं अर्थात मुँह में छाले होना,नकसीर की समस्या, शरीर में गर्मी अधिक होना,शरीर का जलना,रक्त श्राव(Bleeding) आदि की समस्या में उसे नारियल के तेल से गण्डूष क्रिया करनी चाहिए।।

सरसों के तेल से गण्डूष क्रिया
जिन्हें कफ का रोग हो अर्थात जिन्हें कफ अधिक बनता हो, सर्दी- खाँसी-जुकाम होती हो,अधिक बलगम निकलना, साइनस हो,छीकें आने की समस्या हो,कफ के कारण जुबान का सफेद हो जाना आदि समस्याओं में उसे सरसों के तेल से गण्डूष क्रिया करनी चाहिए।

यदि आप स्वस्थ हैं तो आप तेल बदल-बदल कर भी कर सकते हैं। इसके कभी-कभी नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं, इसलिए आयुर्वेद चिकित्सकों से Consult करें।

प्रस्तुतकर्ता :–
डॉ पंकज कुमार ब्रह्माणिया
आयुर्वेदिक काय – चिकित्सक

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